सीएम तीरथ रावत के इस फैसले पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने उठाये सवाल?

ब्यूरो रिपोर्ट

हरिद्वार: सोमवार को हरिद्वार दौरे पर आये पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि कुंभ में कोविड के नियमों का में ढील देना हानिकारक हो सकता है क्योंकि जिस तरह की स्थिति इस समय देश में कोविड की बन रही है वह किसी चिंता से कम नहीं है। त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफे के बाद पहली बार हरिद्वार पहुंचे जहां उन्होंने हरिद्वार के विश्व प्रसिद्ध हरिहर आश्रम में जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी से मुलाकात की जिसके बाद उन्होंने आश्रम में भगवान शिव का जलाभिषेक किया इस अवसर पर पत्रकारों से वार्ता करते हुए उन्होंने कहा कि क्योंकि वह भगवान शिव के भक्त हैं और आज सोमवार है इसलिए हरिद्वार भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए वह हरिद्वार आए है।

साथ ही उन्होंने कहा कि तीरथ सिंह रावत और उनके द्वारा कुंभ को लेकर दिया गया बयान मेरे द्वारा दिए गए बयान के समान ही है कि कुंभ दिव्य ओर भव्य होगा साथ ही कोविड के नियमों का पालन आवश्यक है।जो फैसला ने कुंभ के दौरान राज्य सरकार ने श्रद्धालुओं को बेरोकटोक आने के का लिया है वह जोखिम भरा हो सकता है। कोविड जैसी महामारी में कोई भी जोखिम लेना ठीक नहीं है, क्योंकि इस समय देश के 7 राज्यों में चिंताजनक स्थिति बनी हुई है। उन्होंने कहा कि कल देश मे 1 दिन में 25000 केस सामने आए हैं जो चिंताजनक है। हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि अपने देश और राज्य है को इस महामारी से बचाने के हर संभव प्रयास करें।

पढ़िये क्या कहती है कुम्भ पर पिछली और नई सरकार

जबकि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार से उलट तीरथ सरकार चाहती है कि कुंभ में जो आना चाहता है वह बिना रोकटोक आए। कोरोना संक्रमण को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सरकार की कोशिश थी कि लोग कम आएं। इससे भीड़ और कोरोना दोनों का ही प्रबंधन आसान हो जाता। कोरोना संक्रमण के मामलों में अब इजाफा हो रहा है। इतना होने पर भी अप्रैल के मुख्य स्नान पर्वों पर लाखों लोगों के जुुटने की संभावना है। इसी को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने लोगों के कम से कम आगमन की नीति अपनाई थी। केंद्र की भी मंशा यही थी और इसीलिए कुंभ की अवधि सीमित की गई और आरटीपीसीआर टेस्ट की बात की गई थी। इसके उलट नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत जोखिम उठाने से परहेज नहीं कर रहे हैं। तीरथ अपनी तरफ से साधु संतों के बीच भी कह आए हैं कि कुंभ भव्य होगा और खुद भी कुंभ के पहले शाही स्नान पर संतों के बीच गए थे। तीरथ सरकार अब श्रद्धालुओं का स्वागत करने की हर संभव कोशिश कर रही है।

नई नीति में सबसे बड़ी चुनौती कोरोना विस्फोट की आशंका से बचने की है। जितने अधिक लोग आएंगे, कोरोना संक्रमण का खतरा उतना अधिक बढ़ेगा। इससे अभी तक हुए दो स्नानों में कोरोना के मामले सामने न आने से सरकार राहत में हैं। इससे पहले एक स्नान में 45 लाख लोग आए थे और महाशिवरात्रि के स्नान में 11 मार्च को 32 लाख लोगों ने स्नान किया था। सरकार की ओर से भीड़ प्रबंधन की पहली योजना का संकेत खुद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने रविवार को दिया। उन्होंने कहा कि लोगों से अपील की जा सकती हैं कि वे आएं, स्नान करें, धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल हों और वापस लौट जाएं। 

त्रिवेंद्र सरकार की नीति

 1. कुंभ में लोगों का सुविधाएं दी जाएं, लेकिन लोग सीमित संख्या में आए जिससे कोरोना विस्फोट का खतरा कम से कम हो
2. अन्य राज्यों से बसें न लगाई जाएं, स्पेशल ट्रेन न चले

3. कुंभ की अवधि कम से कम हो

4. आरअीपीसीआर टेस्ट भी डिटेरेंट (बाधा) का काम करेगा। टेस्ट की व्यवस्था की जाए। लोग अपने साथ कोरोना निगेटिव रिपोर्ट लेकर आएं।

तीरथ सरकार की नीति

1. कुंभ में लोगों को सुविधाएं दी जाएं, लोगों के आने पर किसी तरह से बाधा खड़ी न की जाए। कोरोना के मामलों में कमी आ रही है, वैक्सीन का भी प्रभाव पड़ेगा। 

2. लोगों की आवाजाही अबाध रखी जाए, बसों की संख्या बढ़ाई जाए। 

3. कुंभ की अवधि पर अभी सरकार ने विचार नहीं किया। एक अप्रैल से अधिसूचना लागू होने की संभावना। 

4. किसी तरह की बाधा खड़ी न की जाए, आरटीपीसीआर का व्यवहारिक पक्ष देखा जाए। लोगों को मास्क, सैनिटाइजर दिए जाएं।

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