कौन किसका सहारा, थराली उपचुनाव बता देगा सारा

देहरादून-  थराली उपचुनाव में सियासी रंग दिखने लगे हैं। कभी मुहब्बत हो रही है तो कभी रंजो-गम की बात हो रही है। तो कभी नसीहतों का असर भी नहीं हो रहा है। इन सबके बीच बड़ी खबर ये है कि थराली उपचुनाव में गुड्डू  लाल भाजपा के लिए सिरदर्द बन चुके हैं। गुड्डू लाल न दिग्गजों की नसीहत को मान रहे हैं न किसी सियासी हकीम की सलाह को।
 गुड्डू लाल की जिद से भाजपा हलकान है। दरअसल गुड्डू लाल भाजपा के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में बागी हो गए थे। उस वक्त भी भाजपा आलाकमान से गुड्डू लाल ने टिकट की डिमांड की थी लेकिन भाजपा ने स्वर्गीय मगनलाल शाह को थमा दिया।  प्रचंड मोदी लहर के बावजूद गुड्डू लाल तीसरे नंबर पर रहे। ऐसे में भाजपा गुड्डू की दावेदारी से हलकान है।
 
हालांकि भाजपा को उम्मीद थी कि चुनावी घड़ी में घर वापसी से गुड्डू लाल गदगद हो जाएंगे और वहीं करेंगे जो भाजपा आलाकमान कहेगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं! गुड्डू की जिद और जिरह जारी है। गौरतलब है कि गुड्डू लाल क्षेत्र में अपनी जागरी पेशे के लिए मशहूर हैं इसके अलावा उनके खच्चर इलाके में कई घरों में सामान ढोते हैं लिहाजा गुड्डू लाल की घाट से लेकर थराली तक अपनी पहचान है।
 
जब मोदी लहर न चल रही हो और गैरसैंण स्थाई राजधानी का मुद्दा क्षेत्र से लेकर जिले तक और जिले से देकर प्रदेश और दिल्ली तक छाया हुआ हो ऐसे वक्त में गुड्डू लाल को मिल रहे युवाओं के समर्थन ने भाजपा का चैन छीन लिया है।  भाजपा को अहसास है कि गुड्डू लाल कुछ गुल खिला सकते हैं।
 
वहीं गुड्डू लाल को कार से देहरादून लाकर भाजपा प्रदेश कार्यालय में घर वापसी करवाकर गदगद करने वाली भाजपा से गुड्डू लाल फिर खफा हो गए हैं। गुड्डू को उम्मीद थी कि भाजपा उन्हें टिकट देगी लेकिन भाजपा ने टिकट तो क्या उन्हें  वापस क्षेत्र में आने के लिए वाहन तक उपलब्ध नहीं करवाया। सोशल मीडिया पर छाई रिपोर्ट्स की माने तो जिस सम्मान के साथ मंत्री जी की कार से गुड्डू लाल को देहरादून लाया गया था चमोली वापसी के लिए उन्हें किसी भाजपा कार्यकर्ता की स्कूटी में बिठा कर देहरादून के रिस्पना पुल में छोड़ा दिया गया। 
 
सूत्रों की माने तो बड़ी पार्टी की बडी़ बेइज्जती पर क्षेत्र के युवाओं ने उन्हें क्षेत्रीय दल का झंडा उठाने की सलाह दी है। उन्हें समझाया कि दिल्ली वालों से बढ़िया अपने उत्तराखंडी रहेंगे।
 
  खबर है कि जैसे ही ये बात  यूकेडी को पता चली उन्होंने भी अपने सूत्रों के सहारे गुड्डू लाल से संपर्क साधा। चलता-फिरता के सूत्रों की माने तो असमंजस के भंवर में फंसे गुड्डू लाल यूकेडी को अपने तराजू में तौल रहे हैं। 
 
ऐसे में असल बात ये है कि अगर वाकई में यूकेडी की हांड़ी में गुड्डू लाल की दाल गल गई तो दोनों को एक दूसरे का सहारा मिल सकता है।
जहां गुड्डू लाल क्षेत्रीय पार्टी के लंबरदार बन जाएंगे वही थराली उपचुनाव के नतीजे यूकेडी के खाते में मजबूती से दर्ज होंगे और  जिले में गुड्डू लाल यूकेडी के लिए भविष्य की बड़ी संभावना बन जाएंगे।
 
बेशक अभी ये कहा जा रहा हो कि गुड्डू के लिए यूकेडी सहारा या यूकेडी के लिए गुड्डू सहारा। लेकिन इतना तय है कि थराली उपचुनाव में गुड्डू पप्पू साबित नहीं होंगे।
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