'ओ तेरे की' 400 बीघा जमीन पर पेड़ काटकर करा दी अवैध प्लाटिंग अब साडा सचिव समेत कई अफसरों पर मुकदमा

ब्यूरो रिपोर्ट

देहारादून: विकासनगर क्षेत्र में 400 बीघा भूमि पर अवैध प्लाटिंग करने के मामले में साडा (दून घाटी विशेष क्षेत्र प्राधिकरण) के तत्कालीन सचिव समेत कई अधिकारियों और माफिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। वर्ष 2007 से 2014 तक यहां से फलदार पेड़ भी काटे गए थे। मुकदमे में तत्कालीन प्रभागीय वन अधिकारी, जिला उद्यान अधिकारी समेत अन्य अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया है। विकासनगर कोतवाली के इस मुकदमे की विवेचना कालसी एसओ से कराई जा रही है। पुलिस के मुताबिक अनुज कंसल नाम के व्यक्ति ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। मामला वर्ष 2007 से 2014 के बीच दून घाटी विशेष क्षेत्र प्राधिकरण (साडा) क्षेत्र के हरबर्टपुर, विकासनगर और ढकरानी के आसपास कृषि भूमि पर अवैध प्लाटिंग का था। आरोप था कि करीब 400 बीघा भूमि की श्रेणी परिवर्तित किए बगैर यहां से फलदार पेड़ काट दिए गए थे। इस मामले में हाईकोर्ट ने एक एसआईटी गठित कर जांच के आदेश दिए थे। कुछ दिन पहले पुलिस मुख्यालय ने आईजी कुमाऊं अजय रौतेला और एसएसपी देहरादून डॉ. योगेंद्र सिंह रावत को इस जांच में तेजी लाने के निर्देश दिए थे। अब एसआईटी की जांच के बाद मुकदमा दर्ज करने की संस्तुति की गई। इसके आधार पर तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। एसएसपी डॉ. योगेंद्र सिंह रावत ने बताया कि मुकदमे की विवेचना एसओ कालसी को सौंपी गई है।

जांच में पाया गया कि भूस्वामियों ने शासन की अनुमति के बिना 400 बीघा भूमि पर अवैध प्लाटिंग कर डाली। यहां जिन लोगों को प्लाट बेचे गए उन्हें बताया गया कि यह खाली भूमि है। जबकि, कुछ जगहों पर बड़े-बड़े पेड़ खड़े थे।  साडा के सचिव, वन विभाग के प्रभागीय वन अधिकारी कालसी व उद्यान विभाग के जिला उद्यान अधिकारी ने भू-माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि, कई बार उन्हें शिकायतें भी की गईं।  आईपीसी 423, 217 120 बी और 4/10 उत्तर प्रदेश ग्रामीण एवं पर्वतीय क्षेत्रों में वृक्षों का संरक्षण अधिनियम की धाराओं मे मुकद्मा दर्ज किया गया है।

 

कई अन्य अधिकारियों पर हो सकती है कार्यवाई

विकासनगर क्षेत्र में 400 बीघा जमीन पर पेड़ काटकर की गई अवैध प्लॉटिंग के मामले में तीन डीएफओ और कई पीसीएस अफसरों पर कार्रवाई की तलवार लटक सकती है। पीसीएस अफसर 2007 से 2014 की अवधि में  दून घाटी विशेष क्षेत्र प्राधिकरण (साडा) के सचिव पद पर और राज्य वन सेवा के तीनों अधिकारी कालसी के डीएफओ पद पर कार्यरत रहे हैं। इनमें कुछ अधिकारियों का कार्यकाल लंबा रहा जबकि कुछ ने महज कुछ दिनों के लिए ही पद संभाला था। एसआईटी जांच के बाद इस मामले में मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की गई है। जिस अवधि का यह मामला बताया जा रहा है उस दौरान कई पीसीएस अफसर साडा सचिव के दौर पर कार्यरत रहे। इनमें प्रमुख तौर पर झरना कमठान, चंद्र सिंह धर्मशक्तू, नरेंद्र कुड़ियाल, गिरीश चंद्र गुणवंत, बंशीधर तिवारी और सुंदर लाल सेमवाल शामिल रहे हैं। वहीं, राज्य वन सेवा (पीएफएस) के अ धिकारी एमएस पाल, लक्ष्मण सिंह रावत और रामगोपाल वर्मा बतौर प्रभागीय वनाधिकारी कालसी में तैनात रहे। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उन्होंने तत्कालीन साडा सचिव से कई बार मामले की शिकायत की लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके अलावा उन्होंने तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी कालसी और जिला उद्यान अधिकारी पर भी भूमाफिया के खिलाफ कार्रवाई न करने का आरोप लगाया है। 

विकासनगर मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद एमडीडीए में अधिकारियों के नाम को लेकर चर्चा होती रही। पहले साडा और एमडीडीए अलग-अलग प्राधिकरण थे, जिनको कुछ समय पहले ही मर्ज किया गया है। अधिकारी-कर्मचारी उस समय तैनात रहे अधिकारियों के संबंध में जानकारी जुटाते रहे। वहीं, संभावित कार्रवाई को लेकर भी चर्चाएं होती रही।

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