निर्णायक लड़ाई के लिए एक जुटता का आह्वान,27 अप्रैल गोपेश्वर चलो

शहर के दंगों में जब भी मुफ़लिसों के घर जले
कोठियों की लॉन का मंजर सलोना हो गया
-अदम गोण्डवी

अदम गोण्डवी का ये शेर सत्रह साल पूरे कर चुके उत्तराखंड राज्य और 90 के दशक में राज्य प्राप्ति के लिए चले आंदोलन पर सटीक बैठता है। दरअसल 90 के दशक में जिस आम उत्तराखंडी ने खाकी के जुल्मो-सितम और गैर उत्तराखंडियों के ताने सहे उस उत्तराखंड के जनमानस को वो कुछ नहीं मिला जिसके वो हकदार थे। न राज्य की बोली- भाषा- संस्कृति की पहचान जिंदा रही। न राज्य के बेरोजगारों को वाजिब रोजगार मिला न पहाड़ पर विकास हुआ, तरक्की की बाट जोहता पहाड़ मैदान में ही सरक आया।

जबकि दूसरी ओर 70-71 लोगों को पहचान मिली, उनकी कोठियां बनी उनके लॉन का मंजर सलोना हो गया है। उनके लॉन में पहाड़ी राज्य की स्थाई राजधानी पहाड़ में बनाने के लिए मंथन नहीं होता बल्कि स्थाई राजधानी गैरसैंण आंदोलन को रोकने,दबाने के लिए तिकड़म भिड़ाई जाती हैं। कभी छल से तो कभी बल से, कभी आंदोलन के बीच घुसकर तो कभी आंदोलन के लिए अलख जगाने वालों के दिलों में दूसरों के लिए मैल घोलकर।

सत्ता के सियासी गलियारे से गैरसैंण के खिलाफ साजिशें जारी हैं। ये जानकर भी कि गैरसैंण न जिद है, न जुनून है! बल्कि मुल्क और उत्तराखंड के लिए जरूरी है। बावजूद इसके गैरसैंण को सियासी चश्मे से देखा जा रहा है। वहीं पहाड़ की खुशहाली के सपने देखने और उन्हें पूरा करने के लिए अपने आपको तैयार कर रहा तबका “गैरसैंण लड़ेंगे और जीतेंगे” की राह पर निकला हुआ है। इसी के तहत कड़ी से कड़ी मिला कर जंजीर बनाने के लिए आगे आए लोगों ने 27 अप्रैल को गोपेश्वर में ‘गैरसैंण संवाद’  का आयोजन किया है। नगरपालिका सभागार, गोपेश्वर में सुबह 11 बजे से आयोजित कार्यक्रम के लिए जनता से शामिल होने की अपील की गई है। सोशल मीडिया में साझा की गई जानकारी, अपील और पोस्टर का मजमून कुछ यूं है-

प्रणाम साथियो..!
गैरसैंण, रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, देहरादून और हल्द्वानी में हुए छोटे-बड़े कार्यक्रमों के बाद अब अगला संवाद कार्यक्रम गोपेश्वर में रखा गया है. बीते 7 अप्रैल को हल्द्वानी में आयोजित संवाद कार्यक्रम में बड़ी संख्या में नए-पुराने लोग जुटे. सभी ने इस बात पर सहमति जताई कि, निर्णायक लड़ाई के लिए एकजुटता दिखाने का असल वक्त आ गया है. हमारी आप सभी साथियों से अपील है कि अधिक से अधिक संख्या में गोपेश्वर पहुंचें तथा अन्य लोगों को भी आने के लिए प्रेरित करें. गोपेश्वर में आंदोलन की अग्रिम रणनीति पर तो बात होगी ही साथ ही अन्य तमाम सवालों पर भी चर्चा की जाएगी. आइए, इस लड़ाई को मजबूती दें..!
‘जय गैरसैंण : जय उत्तराखंड’
‘लड़ेंगे और जीतेंगे’

 


  

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