ये है परियों का देश !

04-Apr-2018 Written by Admin Categories यात्रा

चलते-फिरते आज हम आपको ले चलते हैं एक ऐसी ही रहस्यमयी जगह पर और आपको बतायेंगे यहाँ के इतिहास और रहस्य के बारे में........इसी कड़ी में आज आपको हम ले चलेंगे, एक ऐसी दुनियां में जिनकी कहानियाँ आपने अक्सर अपने नानी या दादी से जरुर सुनी होंगी . इनके बिना आपका बचपन अधूरा रहा होगा और इनको देखने की लालसा आपके मन में जरुर रही होगी ..

चलिए इस रहस्य से पर्दा हटाते हैं और आपको ले चलते हैं ऐसे पर्वत पर जिसे परियों का देश कहा जाता है समुन्द्र्तल से दस हज़ार फीट की ऊंचाई पर मौजूद है गुंबद के आकार का ये रहस्यमयी पर्वत,जिसे  खैट पर्वत के नाम से जाना जाता है. उत्तराखंड के टिहरी जिले में मौजूद ये पर्वत अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं  कहते हैं इस पर्वत पर आज भी अप्सरायें आती हैं और अपने सखियों के साथ, खेलती हैं ,नृत्य करती हैं और पुरे पर्वत पर घुमती हैं.

स्थानीय भाषा में इन अप्सराओं को वन देवियाँ या आछरी-मांतरी कहते हैं । इस जगह पर अजीब सी शक्तियां रहती है जिसका अनुभव यहाँ आने वाले लोगों को जरुर होता है । इन अप्सराओं के बारे में कहा जाता है अगर इनके मन को एक बार जो पसंद आ जाता है ये उसे बेहोश कर अपने साथ अपने परीलोक ले जाती हैं.

इस खैट पर्वत पर आज भी परियों के आने के निशान मिलते हैं इस पर्वत की 9 पर्वत श्रंखलाओं पर 9 परियों का वास माना जाता है जो आपस में बहनें हैं. ये 9 बहनें आज भी अदृश्य शक्ति के रूप में इन पर्वतों पर रहती है  इसका साक्षात प्रमाण तब मिलता है जब यहाँ की वादियों में जीवन  के होने का अहसास होता है.

हैरत तब होती है किसी के यहाँ न होने के बाद भी यहाँ की वीरान वादियों में अखरोट और लहसुन की खेती खुद होती है. यहाँ अनाज को कूटने वाली ओंखाल दीवारों पर गड़ी है.इन वादियों में कई तरह की फसलें होती है जो सिर्फ यहीं तक खाने योग्य होती है अगर इनको इस परिसर से बहार ले जाये तो ये ख़राब हो जाती हैं.यही वजह है यहाँ लोग इन अप्सराओं को वनदेवियाँ के रूप में खुश रखने के लिए,समय समय पर यहाँ आकर पूजते है.

इस पर्वत पर मखमली घास से ढका एक खुबसूरत मैदान है जहां ये परियां चांदनी रात में सखियों संग नृत्यकला का प्रदर्शन करती हैं इस पर्वत पर माँ बराड़ी का मंदिर है जिसकी गर्भ गुफा की न तो शुरुआत और ना ही अंत माना जाता है कहा जाता है इसी गर्भ गुफा में ये परियां खेलती हैं और अपनी नृत्य कला का प्रदर्शन करती हैं.

यहाँ भूलभुलैया गुफा भी है जिसके अन्दर नाग की कई आकृतियाँ उभरी हुई है.इसके अलावा यहाँ  चारो तरफ अजीब सी खुशबू महकती है जो नैर-थुनैर के पेड़ो की पत्तियों से निकलती है यहाँ इन बुग्यालों में चिल्लाना, चटक कपडे पहनना, बेवजह वाद यंत्र बजाना और  प्रकृति के विपरीत कोई भी काम करना पूरी तरह से मना है अगर आपने ऐसा कुछ किया तो ये वनदेवियाँ आपसे नाराज़ हो सकती हैं

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