बाबा बताओ क्या हुक्मरान तब होश में आते हैं जब जनता जगाती है या ये थराली चुनाव का असर है!

चिरंजीवी भव, बताओ चलते-फिरते क्या खबर लाए हो!

बाबा खबर लाजवाब है, कभी लग रहा है कि सरकार ने घुटने टेक दिए तो कभी लग रहा नहीं पड़ोस के जिले में चुनाव है, कहीं ऐसा न हो कि विपक्ष राग आलपना कर दे कि हमारी सरकार ने जिस जवाड़ी रौंठिया ग्राम समूह पंपिग पेयजल योजना को मंजूर किया था। उस योजना को मौजूदा पार्टी की सरकार साल 2007 से 12 तक पूरे पांच साल सत्ता में काबिज रहने के बावजूद तक अंजाम तक नहीं पहुंचा पाई।  नतीजा ये हुआ कि भरदार की जनता आज तक प्यासी है। आंदोलन के लिए मजबूर है।

बाबा! कभी-लग रहा है कि नहीं सूबे की सरकार के बड़े इंजन से देश से वादा किया था अच्छे दिनों का। तो इधर हम पहाड़ी भाई-बंधुओं से कहा था डबल इंजन की सरकार बनेगी तब देखना कैसे सुलझती हैं चुटकियों में दिक्कत। तो ऐसे में लग रहा है कि कहीं ये डबल इंजन की सरकार का असर तो नहीं कि पेयजल महकमे के मोटी पगार वाले अफसरों की की नींद पूरे 12 साल बाद टूट गई और फाइल पर पंख लगे और सचिवालय तक पहुंच गई। बहरहाल हुआ चाहे जो भी बाबा लेकिन शासन ने उपचुनाव की घड़ी में भरदार की उस जनता को खुशखबरी सुना दी जो पानी के लिए आंदोलन कर रही थी।    

दरअसल साल 2006 में जवाड़ी-रौठिया ग्राम समूह पंपिंग पेयजल योजना की स्वीकृत मिली थी। योजना निर्माण के लिए शासन से 1294.64 लाख रुपए अवमुक्त हुए थे। वन भूमि के चलते योजना पर पर वर्ष 2010 में काम शुरू हुआ। जल निगम ने वर्ष 2013 तक लस्तर गाढ़ से घेघड़खाल से ढाई किमी पीछे तक पचास किमी पेयजल लाइन बिछाने का काम पूरा किया था।

लेकिन बजट खत्म होने के कारण योजना का काम लटक गया। मजदूरी  और सामान के दाम बढ़ने का हवाला देकर जल निगम ने शासन को रिवाइज स्टीमेट भेजा। इसके बाद करीब 12 करोड़ की धनराशि में लगभग पांच करोड़ की धनराशि की वित्तीय स्वीकृति मिली थी।

इसका शासनादेश जारी होने के बावजूद पैसा अवमुक्त नहीं हो रहा था। धनाभाव के कारण टैंक, ग्रेविटी ओर वितरण लाइन का काम शुरू नहीं हो पा रहा था। जबिक इस पेयजल योजना से भरदार क्षेत्र की 52 बस्तियों की प्यास बुझनी थी।

हालांकि पिछले दिनों रुद्रप्रयाग दौरे पर सीएम साहब ने लटकी पेयजल योजना के लिए जारी जीओ भी जनता को दिखाया। लेकिन सचिवालय की अफसरशाही ने इतने महत्वपूर्ण जीओ को भी हल्के में लिया। नतीजा ये हुआ कि पेयजल के लिए परेशान भरदार पट्टी के लोगों ने अपना आंदोलन और तेज कर दिया। जनता की इस आवाज को चलता-फिरता डॉट कॉम ने भी उठाया।

बाबा आज खुशी हो रही है कि हुजूर ने खबर पर कान धरे और योजना के पहले चरण के लिए पांच करोड़ की किस्त जारी कर दी। बाबा 19 अक्टूबर 2016 को 12.49 करोड़ रुपए नाबार्ड के तहत जवाड़ी-रौठिया ग्राम समूह पंपिंग पेयजल योजना (पुनरीक्षित) निर्माण कार्य की प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति का शासनादेश जारी हुआ था। जिसके तहत पहले चरण में 4.96 करोड़ रुपए की धनराशि वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई थी।

जल निगम के सहायक अभियंता प्रवीण शाह ने बताया कि पेयजल योजना के निर्माण के लिए शासन से 4.96 लाख रुपए प्राप्त हो गए हैं। टेंडर आमंत्रित किए गए हैं। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद योजना का निर्माण शुरू किया जाएगा। वहीं बाबा, सड़क निर्माण करते हुए विभागों के मुहंलगे ठेकेदारों ने सड़क बनाते हुए जितनी भी पेयजल लाइनों को क्षतिग्रस्त किया था उनके लिए भी टीएसआर शासन से बजट जारी हुआ है। 

लेकिन बाबा, ऐसा क्यों होता है लोकतंत्र में कि, सरकार को जनता की जरूरतें पता होती हैं। सरकार जनता के लिए आलादीन के चिराग से कम नहीं होती। फिर भी सरकार और उसके अफसर जनता को प्रक्रियाओं के ऐसे तिलस्म में फंसा देते हैं कि बिना आंदोलन के बात नहीं बनती।

जबकि एक को पब्लिक सर्वेंट कहा जाता है तो दूसरा चुनावों में खुद को जनसेवक लिखा करता है।

बच्चा परेशान न हो, लोकतंत्र की यही तो खासियत है, हुक्मरान तब कुर्सी छोड़ते हैं जब जनता आती है। 

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