‘सद्दाम मरे नहीं। जिसे फांसी दी गई थी, वह उनके हमशक्लों में से एक था ! ’

जब तक जिंदा रहा अमेरिका को उसकी दहशत रही। उसकी सल्तनत से अमेरिका खौफ खाता रहा। अमेरिका ने उसे तानाशाह करार दिया और उसके साथ युद्ध लड़ा उसे पराजित किया और जीत के बाद 30 दिसंबर 2006 को फांसी पर लटका दिया।

जी हां आप सही समझे हम उसी सद्दाम हुसैन की बात कर रहे हैं। जिसने तकरीबन दो दशक तक इराक पर एकछ्त्र बेखौफ राज किया। जिसके राज करने के तरीके की कहीं आलोचना हुई तो किसी ने तरफदारी की। बहरहाल जिस शख्स ने जिंदा रहते हुए सुर्खियां बटोरी अब मौत के 12 साल बाद फिर से चर्चा में है।

69 साल की उम्र में जिस सद्दाम हुसैन को अमेरिका ने फांसी की सजा मुकर्रर कर मौत दी उस शख्स मुर्दा देह अब दुनिया भर की मीडिया में सुर्खियां बटोर रही है। जितने मुंह उतनी बातें सामने आ रही हैं। अमेरिका से लेकर इराक तक और इराक से लेकर जार्डन तक सद्दाम हुसैन के मुर्दा जिस्म के चर्चे हैं।

दरअसल इराक के पूर्व तानाशाह सद्दाम हुसैन के गांव अल-अवजा में बनी उनकी कब्र में उनके शव का कोई अवशेष नहीं है। जबकि उन्हें दफनाए हुए अभी महज 12 साल ही हुए हैं। 30 दिसंबर 2006 को फांसी पर लटकाए जाने के बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू. बुश ने खुद अपने दुश्मन सद्दाम हुसैन के मृत शरीर को अमेरिकी मिलिटरी हेलिकॉप्टर से बगदाद रवाना किया था। जहां अल-अवजा गांव में सद्दाम को दफनाया गया था।

लेकिन आज, इस बात को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आखिरकार सद्दाम का शव गया कहां? क्या उनका शव अल-अवजा में ही है या फिर उसे खोदकर निकाल लिया गया है और अगर ऐसा है तो उसे कहां ले जाया गया है? 69 साल के सद्दाम को फांसी देने के बाद उन्हें भोर होने से पहले ही दफना दिया गया था। इसके बाद यह जगह एक तीर्थस्थल में बदल गई थी और स्थानीय स्कूली छात्रों के समूह और सद्दाम के समर्थक हर साल 28 अप्रैल को उनके जन्मदिन के मौके पर यहां इकट्ठे होते थे। हालांकि, अब इस जगह पर आने के लिए प्रशासन से खास इजाजत लेनी होती है।

बहरहाल खलबली मचाता सवाल ये है कि सद्दाम का शव कहां गया ? जितने मुंह उतनी बातें, मीडिया रिपोर्ट्स की मानी जाए तो सद्दाम के वंश से ताल्लुक रखने वाले शेख मनफ अली अल-निदा का कहना है कि. सद्दाम की कब्र को खोदा गया और उन्हें जला दिया गया। हालांकि, वह यह भी कहते हैं कि उन्होंने ऐसा होते हुए नहीं देखा। वावजूद सद्दम के शव को जलाने की बात फिजा में उड़ रही है।

दूसरी तरफ सद्दाम की कब्र की सुरक्षा में लगे शिया अर्द्धसैनिक बलों का कहना है कि आतंकवादी संगठन ISISद्वारा अपने लड़ाके यहां तैनात करने के बाद इराकी हवाई हमलों में कब्र बर्बाद हुई है। बावजूद इसके सुरक्षाबल के प्रमुख जाफर अल-घरावी जोर देकर कहते हैं 'सद्दाम का शव अभी भी यहीं है।'

उधर सद्दाम के लिए काम कर चुके एक लड़ाके ने यह भी आशंका जाहिर की कि सद्दाम की निर्वासित बेटी हाला एक निजी विमान से अवजाह आईं और पिता के शव को अपने साथ जॉर्डन ले गईं। जबकि एक तबका इस दावे को सिरे से खारिज करता है। सद्दाम के वक्त स्कूल में तालीम लेने वाले और अब प्रफेसर बन चुके एक शख्स का दावा है कि 'असंभव, हाला कभी इराक लौटी ही नहीं। शव को कहीं गुप्त स्थान पर ले जाया गया है। कोई नहीं जानता कि शव को कौन और कहां ले गया।'

मीडिया रिपोर्ट्स पर यकीन किया जाए तो इस प्रोफेसर ने अपना नाम न जाहिर करने की शर्त पर ही ये दावा किया। कई मुंह कई बातों की इस फेहरिश्त में एक ऐसी जमात भी है जिसको यकीन है कि सद्दाम अब भी जिंदा है। बगदाद निवासी अबु समीर भी उसी जमात से ताल्लुक रखते हैं। जिनका मानना है कि ‘सद्दाम मरे नहीं। जिसे फांसी दी गई थी, वह उनके हमशक्लों में से एक था। 

 

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