पहले महंगाई के मुद्दे पर सिलेंडर लेकर प्रदर्शन करने वाली स्मृति ईरानी को सत्ता की कुर्सी से नजर नहीं आ रही महिलाओं की पीड़ा : निर्मल शर्मा

शिमला. 17 सितंबर : आम आदमी पार्टी महिला विंग की प्रदेशाध्यक्ष निर्मल शर्मा ने महंगाई के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को घेरते हुए कहा कि पहले महंगाई के मुद्दे पर सिलेंडर लेकर सड़कों पर प्रदर्शन करने वाली स्मृति ईरानी को सत्ता की कुर्सी मिलने पर महिलाओं की पीड़ा नहीं दिख रही है। आज हर परिवार की महिला महंगाई से परेशान है, महिलाओं को रसोई चलाना महंगा हो गया है लेकिन महिला सम्मेलन को संबोधित करने आईं स्मृति ईरानी ने महंगाई के मुद्दे पर चुप्पी साध ली है। अब भाजपा की सरकार के समय महंगाई सातवें आसमान पर हैं। गैस सिलेंडर की कीमत 1150 रुपए पहुंच गई है लेकिन सत्ता की चश्मा पहने स्मृति ईरानी को महंगाई नजर नहीं आ रही है।

निर्मल शर्मा ने कहा कि यह वही स्मृति ईरानी हैं जो विपक्ष में रहते हुए महंगाई के खिलाफ गैस सिलेंडर लेकर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहीं थी। अब सत्ता की कुर्सी में बैठने की बाद उन्हें महिलाओं का दर्द समझ नहीं आ रहा है। जिससे स्मृति ईरानी को दोहरा चरित्र महिलाओं के सामने आया है। महिला सम्मेलन में भाग लेने वाली महिलाओं से ही बात करतीं तो हर महिला महंगाई से हो रही परेशानी को बता देती। लेकिन स्मृति ईरानी को महिलाओं की समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है। महिला सम्मेलन में स्मृति ईरानी सरकार की उपलब्धियों को गिना रहीं थी। उनको सरकार की उज्जवला योजना के द्वारा दिए गए गैस सिलेंडरों के बारे में जानकारी नहीं है। स्मृति ईरानी को पता होना चाहिए कि महिलाओं को मिले गैस सिलेंडर रसोई में खाली रखे हैं। महंगा होने के कारण महिलाएं गैस सिलेंडर भरवा नहीं पा रहीं हैं और लकड़ी के चूल्हे में ही खाना बना रहीं हैं। सरकार ने प्रदेश में 1 लाख से अधिक गैस सिलेंडर दिए हैं लेकिन मीडिया में आए आंकड़ों के अनुसार दस हजार सिलेंडर ही दोबारा रिफिल किए गए हैं। महंगाई की मार से परेशान महिलाओं के पास सिलेंडर भरवाने के भी पैसे नहीं हैं।  भाजपा सरकार ने आटा, दाल, चावल, दूध और दही पर जीएसटी लगा दिया है, जिससे हर परिवार की महिला का रसोई की बजट बिगड़ गया है। महिला के लिए रसोई चलाना मुश्किल हो गया है। लेकिन महिला सम्मेलन में स्मृति ईरानी महिला सम्मेलन में मौन है। सम्मेलन में बैठी हर महिला परेशान है, लेकिन कुछ बोल नहीं रही है। जिससे साबित होना है कि इन नेताओं की जनता की समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है। वह सत्ता पाने के लिए जनता के मुद्दों पर राजनीति करते हैं और सत्ता की कुर्सी पर बैठने के बाद जनता को भूल जाते हैं। लेकिन आने वाले चुनावों में जनता ऐसे नेताओं को सबक सिखाने के लिए तैयार है।

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