भाजपा सरकार ने शिक्षा का किया व्यापारीकरण, सरकारी स्कूल हुए बदहाल, निजी स्कूलों ने की दिन दुगुनी रात चौगुनी तरक्की: आप 

धर्मशाला : हिमाचल प्रदेश में भाजपा सरकार की कभी भी शिक्षा प्राथमिकता नहीं रही है। हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए लोगों की सबसे पहली प्राथमिकता यह है कि बेहतर शिक्षा घर-द्वार पर मिले। लेकिन  भाजपा के राज में शिक्षा के व्यापारीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता पंकज पंडित ने शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। धर्मशाला में एक पत्रकार वार्ता के दौरान प्रदेश प्रवक्ता पंकज पंडित ने कहा कि प्रदेश में 2600 से ज्यादा स्कूल एक ही शिक्षक के सहारे चल रहे हैं। उन्होंने कहा, शिक्षा व्यवस्था के इतने बुरे हालात शायद ही कभी हुए हों जैसा इस सरकार में हुआ। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला में 543 ऐसे स्कूल हैं जहां  एक ही शिक्षक के सहारे स्कूल चल रहे हैं। प्रदेश प्रवक्ता पंकज पंडित ने कहा कि शैक्षणिक सत्र 2022-23 में 153 स्कूल सरकार की अनदेखी के चलते बन्द हो गए हैं।  प्रदेश में शिक्षा के यह हालात क्यों हुए इसके लिए सरकार ने जानबूझकर पैदा किए हैं। जहां प्रदेश में निजी स्कूल दिन दुगनी रफ़्तार से तरक्की कर रहे हैं वहीं सरकारी स्कूल लगातार बंद हो रहे हैं। 

उन्होंने सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि नादौन में एक स्कूल में दिव्यांग छात्र को स्कूल में एडमिशन नहीं दी गई है जहां अध्यापकों ने उन्हें यह कहकर वापस भेज दिया कि जहां के हो वहीं पढ़ो। यह अन्याय सरकार का है जहां आम छात्र स्कूल में एडमिशन नहीं ले रहे तो दिव्यांग छात्र को स्कूल में एडमिशन लेने से मना किया जा रहा है। 
पंकज पंडित ने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि सरकार दावा करती है कि शिक्षा के क्षेत्र में सबसे अव्वल है लेकिन जिला कांगड़ा में प्रदेश सरकार शिक्षा के नाम पर राजनीति कर रही है। जहां तीन प्रमुख बड़े शिक्षण संस्थानों की नोटिफिकेशन एक दिन में हुई थी और दोनों दल दावा करते हैं कि यह हमने दिलवाया है। जिसमें आईआईटी मंडी, नेरचौक मेडिकल कॉलेज और सेंट्रल यूनिवर्सिटी जिसमें आईआईटी मंडी में 1500 करोड़  रुपए की लागत से भवन बनाए गए हैं और अब तक पांच  बैच भी निकल चुके हैं जबकि 1300 करोड़ रुपए से नेरचौक मेडिकल कॉलेज का सर्वश्रेष्ठ भवन बनाया गया है लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि अभी तक सेंट्रल यूनिवर्सिटी का शिलान्यास तक नहीं हो पाया है उस पर भी राजनीति की जा रही है। उन्होंने कहा कि चुनावी रंजिश के चलते कभी देहरा, कभी शाहपुर, तो कभी कांगड़ा में भवन खोलने की बात की गई है लेकिन आज तक सेंट्रल यूनिवर्सिटी का शिलान्यास नहीं करवा पाई है। उन्होंने कहा,आम आदमी पार्टी सरकार के इस रवैए का  विरोध करती हैं। 

आप प्रवक्ता ने कहा, हमारा मानना है कि शिक्षा आम आदमी का मूलभूत अधिकार है और आम आदमी पार्टी का मुख्यरूप से ध्यान शिक्षा और स्वास्थ्य पर है। उन्होंने कहा कि जो सरकार शिक्षा नहीं दे सकती और स्कूलों को जानबूझकर बंद करने पर तुली हुई है, उस सरकार को सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में प्रदेश सरकार में फीस माफ करने का निर्णय लिया था लेकिन निजी स्कूलों की मनमानी और सरकार की मिलीभगत के चलते निजी स्कूलों में 10 से 20 फीसदी बढ़ौतरी की है। जिसका खामियाजा छात्रों के अभिभावकों को झेलना पड़ा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के बाद पंजाब में भी निजी स्कूलों पर आम आदमी पार्टी की सरकार लगाम लगा रही है और दिल्ली में चार लाख से ज्यादा बच्चों ने निजी स्कूलों को छोड़कर सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया है। जहां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ पढ़ाई दी जा रही है । उन्होंने कहा कि यह सरकार रैलियों वाली, जश्न मनाने वाली और लोगों को गुमराह करने वाली, झूठे वादे करने वाली सरकार है जो रोजी-रोटी के बाद गरीब बच्चों के हाथों से किताब भी छीन रही है। आम आदमी पार्टी जयराम सरकार से सवाल पूछती है कि प्रदेश सरकार यह बताए कि इसके पीछे क्या मंशा है।

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