भाजपा सरकार बदले की भावना से मेरे कार्यकाल मे शुरू की गईं महत्वपूर्ण योजनाओं को बंद करने पर तुली है – हरीश रावत

देहरादून: चुनावी दौर नजदीक आने के साथ ही सियासत तेज हो गई है। पूर्व सीएम व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत इन दिनों अपने कार्यकाल में शुरू की गई योजनाओं के बहाने सरकार के विकासवादी दावे को महज चुनावी नारा बता रहे हैं। उनका कहना है कि इन योजनाओं से आम लोगों का सरकार पर विश्वास बढ़ रहा था। क्योंकि, इनके जरिये सरकार जनहित के जिम्मे को निभा रही था। लेकिन भाजपा सरकार बदले की भावना से काम करते हुए इन महत्वपूर्ण योजनाओं को बंद करने पर तुली है। विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो चुकी है। गंगोत्री व नेता प्रतिपक्ष की सीट खाली होने की वजह से मार्च 2022 से पहले ही भाजपा व कांग्रेस के बड़े नेता एक दूसरे पर सियासी तीर छोड़ने में जुट गए हैं। वही, पूर्व सीएम हरीश रावत लगातार फेसबुक व अन्य माध्यम से सरकार की घेराबंदी में जुटे हैं। हरदा ने फेसबुक पर लिखा कि मेरा गांव मेरी सड़क योजना की तहत हर ब्लॉक में चार सड़क बनाने को मंजूरी मिली थी। 200 से ज्यादा सड़क बनाई भी गई। लेकिन इस सरकार ने इसे बंद कर दिया।

इसके अलावा कांग्रेस सरकार में बर्ड वाचिंग सेंटर के रूप में कुछ जगहों को चिन्हित कर डेवलप करने का प्रयास किया गया था। फोकस वहाँ रखा गया जहां माइग्रेटरी बर्ड्स आती हैं। बैलपडाव, पवलगढ़ व कोटाबाग आदि को प्रोजेक्ट में रखा गया था। लेकिन उन स्थानों को संरक्षित करने के बजाए अब राज्य सरकार उन स्थानों पर खनन का काम करवा रही है और जब वहां खनन होगा तो प्रकृति का वह स्वभाव, जो माइग्रेटरी बर्ड्स को लुभाता है, वो बदल जाएगा और वहां माइग्रेटरी बर्ड्स नहीं आएंगी।

वहीं, हरदा ने फेसबुक पर कहा कि दुग्ध बोनस योजना के साथ बद्री गाय प्रोत्साहन योजना शुरू की। दुग्ध संघों से कहा कि आप दूरदराज के गांवों की महिलाओं को प्रशिक्षण दो। इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण योजना थी कि हम गोवंश पालन की ओर लोगों को प्रोत्साहित करें और इसलिए हमारी सरकार ने गंगा गाय योजना प्रारंभ की और उस योजना के तहत 20 हजार तक का अनुदान लोगों को दिया गया। आज गौभक्तों की सरकार है, एक तरफ बूढ़ी गायों को जंगलों व सड़कों पर मरने के लिए यूं ही छोड़ दिया जा रहा है और दूसरी तरफ गोवंश संवर्धन के लिए जो हमने गंगागाययोजना बनाई थी उस योजना को भी पूरी तरीके से विस्मृत कर दिया गया है।

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